रायपुर – छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज IIM रायपुर के परिसरों में सजाई गई नई ‘सुशासन वाटिका’ का उद्घाटन किया। यह प्रतीक है बेहतर शासन, सतत विकास और हरे-भरे भविष्य का। मैंने इस कार्यक्रम को हृदय से देखा, मानों प्रकृति और नीति निर्माण के बीच एक खूबसूरत संवाद छिड़ गया हो।
मुख्यमंत्री के साथ पौधारोपण में शामिल हुए:
उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विधायक विजय शर्मा, मंत्री केदार कश्यप, ओपी चौधरी, राम विचार नेताम, दयालदास बघेल, श्याम बिहारी जायसवाल, टंकराम वर्मा, लक्ष्मी राजवाड़े, लखनलाल देवांगन, सहित कई गणमान्य अधिकारी।
IIM रायपुर के निदेशक प्रो. राम कुमार कांकाणी ने भी इस पहल में अपना योगदान दिया
‘सुशासन वाटिका’ – एक नजर
यह वाटिका केवल पौधे लगाने तक सीमित नहीं है। यह आईआईएम परिसर में हरित आवरण फैलाने, पर्यावरण जागरूकता और भविष्य में हरित अंतःक्रिया का संकेत है। CM साय के शब्दों में, “सुशासन की जमीनी गहराई इसी हरियाली में समाहित है।”
🧠 चिंतन शिविर 2.0 – दिशा तय करने वाली पहल
आज के चिंतन शिविर में चर्चा के प्रमुख बिंदु थे:
सतत विकास,
सुशासन के नए मॉडल,
2047 तक ‘विकसित भारत व छत्तीसगढ़’ की रणनीति,
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने “स्केल, स्पीड और इनोवेशन” को अगली सरकार की प्राथमिकता बताया
यह पहल क्यों महत्वपूर्ण?
प्रतीकात्मक नेतृत्व: यह पहल दर्शाती है कि सरकार सरकारी घोषणाओं से आगे बढ़कर ठोस कदम उठा रही है।
नीति से पर्यावरण तक: नीति निर्माण अब सिर्फ विचारों का समूह नहीं, बल्कि इसे हरियाली से जोड़ने का संदेश बन चुका है।
प्रशासन + प्रकृति = भविष्य: यह दिखाता है कि सुशासन में अब प्रकृति की भूमिका गहराई से समझी जा रही है।
