हाईकोर्ट का अहम फैसला: सीनियर अधिकारी की अनदेखी कर जूनियर को चार्ज देना अवैध

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग में प्रभार देने से जुड़े एक अहम मामले में सीनियर अधिकारी को दरकिनार कर जूनियर को चार्ज देने को अवैध करार दिया है। हाईकोर्ट ने सीनियर व्याख्याता डेलूराम खरे की याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी, बेमेतरा द्वारा जारी आदेश को निरस्त कर दिया।

ग्राम चारभाठा, पोस्ट पेण्ड्रावन, जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ निवासी डेलूराम खरे वरिष्ठ व्याख्याता के पद पर कार्यरत थे। 16 जुलाई 2024 को जिला शिक्षा अधिकारी, बेमेतरा ने उन्हें शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, कूरा में प्रभारी प्राचार्य के पद पर नियुक्त किया। लेकिन 18 सितंबर 2024 को एक संशोधित आदेश जारी कर डेलूराम खरे को हटाकर उनके जूनियर प्रदीप कुमार बंजारे को प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया।

इस फैसले से असंतुष्ट होकर डेलूराम खरे ने हाईकोर्ट, बिलासपुर में अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और स्वातिरानी शराफ के माध्यम से रिट याचिका दायर कर इस आदेश को चुनौती दी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट में तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 4 अगस्त 2011 और 16 मई 2012 को जारी सर्कुलर में यह स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी शासकीय कार्यालय में सीनियर अधिकारी को ही चार्ज दिया जाए। इससे पहले भी कई मामलों में हाईकोर्ट ने सीनियर अधिकारियों को दरकिनार कर जूनियर को चार्ज देने को गलत ठहराया है।

हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि सीनियर अधिकारी के रहते जूनियर को प्रभार देना नियमों के खिलाफ है। कोर्ट ने जिला शिक्षा अधिकारी, बेमेतरा द्वारा जारी आदेश को निरस्त करते हुए डेलूराम खरे को दोबारा प्रभारी प्राचार्य के पद पर बहाल करने का निर्देश दिया।

इस फैसले के बाद शिक्षा विभाग में सीनियर अधिकारियों को नजरअंदाज कर जूनियर को चार्ज देने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह फैसला प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और योग्यता के आधार पर नियुक्तियों की अनिवार्यता को मजबूत करता है।

Arpa News 36
Author: Arpa News 36