रायपुर – छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित ऐतिहासिक दोकड़ा जगन्नाथ मंदिर में जशपुर दोकड़ा रथ यात्रा 2025 का आयोजन इस वर्ष भी परंपरागत श्रद्धा, भक्ति और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन ना केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय संस्कृति, सामाजिक समरसता और जनभागीदारी का जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। इस उत्सव ने एक बार फिर सिद्ध किया कि जशपुर दोकड़ा रथ यात्रा 2025 प्रदेशवासियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्व बन चुका है।
मुख्यमंत्री ने निभाई छेरा-पहरा की परंपरा
रथ यात्रा की शुरुआत से पूर्व मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय एवं उनकी धर्मपत्नी कौशल्या देवी साय ने मंदिर में भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा की विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के कल्याण की कामना की। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक रस्म छेरा-पहरा निभाते हुए झाडू से रथ मार्ग बुहारा और हजारों श्रद्धालुओं के साथ भक्तिभावपूर्वक रथ खींचा।
दोकड़ा में 1942 से जारी है परंपरा
जशपुर दोकड़ा रथ यात्रा 2025 की जड़ें वर्ष 1942 में देखी जा सकती हैं, जब स्वर्गीय श्री सुदर्शन सतपथी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला सतपथी ने इस परंपरा की नींव रखी थी। तब से यह आयोजन बिना किसी व्यवधान के लगातार होता आ रहा है। इस आयोजन की गरिमा अब इतनी बढ़ चुकी है कि यह एक भव्य धार्मिक मेले में तब्दील हो गया है, जिसमें हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।
भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक झांकियों से सजा माहौल
इस वर्ष की जशपुर दोकड़ा रथ यात्रा 2025 में ओडिशा से आईं कीर्तन मंडलियों ने मनमोहक भक्ति संगीत प्रस्तुत किए। साथ ही अनेक धार्मिक एवं सांस्कृतिक झांकियों ने भगवान श्री जगन्नाथ की महिमा और देश की सांस्कृतिक विविधता को खूबसूरती से प्रदर्शित किया। पूरा वातावरण “जय जगन्नाथ” के जयघोष से गूंजता रहा।
मौसीबाड़ी में विराजेंगे नौ दिनों तक भगवान
परंपरा के अनुसार, रथ यात्रा दोकड़ा मंदिर से निकलकर मुख्य मार्गों से होती हुई मौसीबाड़ी पहुंची, जहां भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा नौ दिनों तक विराजमान रहेंगे। 5 जुलाई 2025 को यह दिव्य रथ यात्रा दोबारा जगन्नाथ मंदिर, दोकड़ा लौटेगी।
नौ दिवसीय महोत्सव: भक्ति, संस्कृति और उत्साह का समागम
श्री जगन्नाथ मंदिर समिति, दोकड़ा के अनुसार जशपुर दोकड़ा रथ यात्रा 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक नौ दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव है। इस दौरान भजन-कीर्तन, धार्मिक अनुष्ठान, सांगीतिक प्रस्तुतियाँ, नृत्य, और बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिससे पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा और उत्सव के रंगों से सराबोर हो जाता है।
मेला: आनंद और संस्कृति का केंद्र
रथ यात्रा के उपलक्ष्य में दोकड़ा में एक विशाल मेला भी लगाया गया है, जिसमें झूले, व्यंजन स्टॉल, पारंपरिक हस्तशिल्प दुकानें और कई मनोरंजक गतिविधियाँ शामिल हैं। यह मेला सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।
जशपुर दोकड़ा रथ यात्रा 2025 न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आयोजन छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक एकता और परंपरा की शक्ति को भी उजागर करता है। हर वर्ष बढ़ती सहभागिता यह साबित करती है कि यह उत्सव एक जन-आंदोलन जैसा बन चुका है, जो आस्था, उत्साह और सौहार्द का प्रतीक है।
