कुरुद : कुरुद में झोलाछाप डॉक्टर के कारण एक मासूम की जान चली गई, जिससे क्षेत्र में आक्रोश और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं। यह घटना न केवल चिकित्सा नियमों की धज्जियां उड़ाती है, बल्कि इसने ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे अवैध इलाज के खतरों को भी उजागर किया है।
घटना का विवरण
रविवार को डांडेसरा निवासी रेवाराम साहू अपने 12 वर्षीय बेटे नीरज साहू को वायरल फीवर के इलाज के लिए नगर के मुख्य मार्ग स्थित अशोक मेडिकल स्टोर लेकर गए। स्टोर संचालक अशोक शर्मा, जो कथित झोलाछाप डॉक्टर हैं, ने इंजेक्शन लगाया। मात्र 10 मिनट के भीतर बच्चे की हालत बिगड़ गई, मुंह से झाग निकलने लगे और वह अचेत हो गया।
अस्पताल में मौत की पुष्टि
आरोपी अशोक शर्मा खुद बच्चे को बाइक से सिविल अस्पताल कुरुद लेकर गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक के पिता ने आरोप लगाया कि गलत इलाज और बिना डिग्री के चिकित्सा करने से बच्चे की मौत हुई।
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई
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पुलिस कार्रवाई: एसडीओपी रागिनी मिश्रा के निर्देश पर पोस्टमार्टम कराया गया और परिजनों के बयान दर्ज किए गए।
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स्वास्थ्य विभाग: धमतरी सीएमएचओ डॉ. यूएल कौशिक ने जांच के आदेश दिए।
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आरोपी की स्थिति: घटना के बाद आरोपी दुकान बंद कर फरार हो गया।
ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों का जाल
ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टर बिना डिग्री के इलाज करते हैं। यह लोग छोटे-मोटे ऑपरेशन से लेकर गंभीर बीमारियों का भी इलाज करते हैं, जिससे मरीजों की जान पर खतरा मंडराता है। शहरों में महंगे इलाज और फीस से बचने के लिए गरीब तबका मजबूरी में इनके पास जाता है।
स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर सवाल
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से झोलाछाप डॉक्टरों का नेटवर्क फल-फूल रहा है। ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई और नियमित जांच बेहद जरूरी है।
कुरुद में झोलाछाप डॉक्टर द्वारा हुई इस घटना ने यह साबित कर दिया कि अवैध चिकित्सा सेवाएं कितनी खतरनाक हो सकती हैं। अब जरूरी है कि स्वास्थ्य विभाग सख्ती बरते और आम जनता को जागरूक करे।
