कुरुद ।कुरुद की बेटियों ने पावस प्रसंग 2025 में कथक नृत्य की उत्कृष्ट प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से चुनिंदा कलाकारों को आमंत्रित किया गया था। रायपुर स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय में हुए इस आयोजन में शास्त्रीय नृत्य और गायन की झलक देखने को मिली।
संस्कृति विभाग का विशेष आयोजन
संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 2 से 6 सितंबर तक आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में केवल चुनिंदा शास्त्रीय कलाकारों को ही मंच प्रदान किया गया। इस बार कुरुद की बेटियों को भी इसमें शामिल होने का अवसर मिला, जो क्षेत्र के लिए गर्व की बात रही।
गीताजंली कला केंद्र की प्रतिभाशाली छात्राएँ
कुरुद का गीताजंली कला केंद्र लंबे समय से शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा प्रदान कर रहा है। यहाँ प्रशिक्षित बालिकाएँ नेपाल, हरिद्वार, शिमला, पूरी, भुवनेश्वर, उज्जैन, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग और नागपुर जैसे स्थानों पर अपनी प्रस्तुतियों से पहले ही ख्याति अर्जित कर चुकी हैं।
इस वर्ष पावस प्रसंग 2025 में गीताजंली कला केंद्र से सिया शर्मा, पूर्वी साहू, तेजल वर्मा, श्रेया श्रीवास, नेहा साहू और तुलीसा साहू ने भाग लिया। इन सभी ने अपने कत्थक गुरु जुगराज बाग के निर्देशन में सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया।
कथक की थाप से गूँजा मंच
जब मंच पर कुरुद की बेटियों ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उनके कदमों की थाप और घुंघरुओं की लयबद्ध आवाज ने पूरे वातावरण को संगीतमय बना दिया।
प्रस्तुति बसंत ऋतु और वर्षा के प्राकृतिक सौंदर्य पर आधारित थी, जिसमें ऋतु परिवर्तन की छटा का सुंदर चित्रण किया गया। बारिश के मौसम की ताजगी और उल्लास को नृत्य के माध्यम से जीवंत कर दिया गया।
पालकों और संचालिकाओं की खुशी
कला केंद्र की संचालिका रंजना मुदलियार और अंजलि नायडू सहित निशा वर्मा, विनीता साहू, सुमन शर्मा, संगीता साहू और अनिता श्रीवास जैसे पालकों ने बच्चियों की इस सफलता पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि कुरुद की कला संस्कृति को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रही है।
पावस प्रसंग का सांस्कृतिक महत्व
पावस प्रसंग छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं को मंच प्रदान करने वाला एक विशेष आयोजन है। इसमें शास्त्रीय संगीत और नृत्य की विधाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
कुरुद की बेटियों ने पावस प्रसंग 2025 में कथक नृत्य की शानदार प्रस्तुति देकर पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया। उनकी थाप और लयबद्ध नृत्य ने साबित किया कि कला के क्षेत्र में भी कुरुद की प्रतिभाएँ किसी से पीछे नहीं हैं।
