कुरूद। कुरूद और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित राइस मिलों से निकले गरदे और अपशिष्ट जल के कारण पशुओं में फूड पॉइजनिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही की एक गंभीर घटना ने फिर से इस मुद्दे को उजागर किया है, जहाँ एक गाय की हालत गरदा खाने से इतनी बिगड़ गई कि उसे तत्काल पशु चिकित्सालय में भर्ती कराना पड़ा।
घरेलू उपचार भी साबित हो रहे हैं नाकाम
ग्रामीणों ने जब गाय की तबीयत बिगड़ते देखी, तो पहले घरेलू उपचार करने की कोशिश की, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। जब पशु चिकित्सालय में लाया गया, तब डॉक्टरों ने जांच में पाया कि गाय ने राइस मिल का गरदा खा लिया था जिससे उसे गंभीर फूड पॉइजनिंग हो गई।
इलाज कर रहे पशु चिकित्सा अस्पताल के छन्नू लाल चंद्रवंशी ने बताया कि,
“हर दिन कुरूद और आसपास के इलाकों से फूड पॉइजनिंग की शिकायतें आ रही हैं। कई बार तो मवेशियों की हालत इतनी खराब होती है कि इलाज शुरू करने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है।”
मिलों की लापरवाही बनी मौत की वजह
स्थानीय राइस मिलों द्वारा गरदा और वेस्ट वॉटर को खुले में फेंका जा रहा है। ये कचरा जानवरों के लिए ज़हर साबित हो रहा है, जो चारे की तलाश में इसे खा लेते हैं। यह न सिर्फ मवेशियों की जान ले रहा है, बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
प्रभावित हो रही खेती और मानव स्वास्थ्य
ग्रामीणों ने बताया कि राइस मिलों के कचरे से आसपास की ज़मीन भी प्रभावित हो रही है। खेतों में उर्वरता कम हो रही है और जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। स्थानीय जल स्रोतों का परीक्षण कराने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
ग्रामीणों की माँगें
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राइस मिल संचालकों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई हो।
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गरदे और वेस्टेज के निष्पादन के लिए उचित प्रबंधन प्रणाली लागू की जाए।
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पशुओं के लिए विशेष चिकित्सा शिविर लगाए जाएं।
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प्रभावित किसानों और पशुपालकों को मुआवज़ा दिया जाए।
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जल और मिट्टी की नियमित जांच कराई जाए।
यह मामला अब केवल एक पशु या किसान का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के स्वास्थ्य और भविष्य से जुड़ा है। प्रशासन को तत्काल हस्तक्षेप कर इस संकट से निपटने की ज़रूरत है।
