कुरूद में शारदीय नवरात्रि पर रास-गरबा डांडिया महोत्सव की तैयारी जोर शोर से

गरबा महोत्सव की परंपरा और महत्व

कुरूद । शारदीय नवरात्रि पर रास-गरबा डांडिया महोत्सव की तैयारी इस वर्ष भी पूरे उत्साह के साथ की जा रही है। यह परंपरा पिछले दो दशकों से नगर में जारी है और हर साल इसकी भव्यता बढ़ती जा रही है। गरबा परिवार समिति और श्रीराम जानकी महिला समिति इस आयोजन को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

गुजरात से विशेष प्रशिक्षक आमंत्रित

इस बार महोत्सव को और खास बनाने के लिए गुजरात से अनुभवी प्रशिक्षकों को बुलाया गया है। प्रशिक्षक सन्नी गिल, रवि भारद्वाज, राहुल मारवाड़ी, रोहित राणा और मेहुल कुमार भिल की टीम प्रतिभागियों को गरबा की बारीकियाँ सिखाएगी।

14 से 20 सितंबर तक चलने वाले प्रशिक्षण शिविर में बच्चों और महिलाओं को गरबा स्टेप्स सिखाए जाएंगे। शाम 4 से 6 बजे तक होने वाली इस कार्यशाला में सुप्रसिद्ध ट्रेनर पृथ्वीराज मार्गदर्शन देंगे।

विधायक अजय चंद्राकर का योगदान

नगर में इस महोत्सव की शुरुआत कराने का श्रेय विधायक अजय चंद्राकर को जाता है। उनके प्रोत्साहन से ही गरबा परिवार समिति ने यह बीड़ा उठाया और बाद में श्रीराम जानकी महिला समिति भी इसमें शामिल हो गई। आज यह आयोजन स्वामी विवेकानंद इंडोर स्टेडियम और चंद्राकर भवन में हजारों लोगों की उपस्थिति में संपन्न होता है।

समिति की तैयारियां और नियमावली

गरबा परिवार समिति ने हाल ही में बैठक कर आयोजन की रूपरेखा तैयार की। सुरक्षा, नियमावली, और प्रतिभागियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। समिति से जुड़ी पुष्पा तिवारी, प्रसन्न नायडू, कशिश जेठानी और अन्य सदस्यों ने बताया कि इस बार महोत्सव को नए अंदाज में प्रस्तुत किया जाएगा।

गरबा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

गरबा शब्द संस्कृत के “गर्भ” से लिया गया है, जिसका अर्थ मातृत्व का प्रतीक है। यह नृत्य माँ दुर्गा की पूजा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

  • गरबा केवल नृत्य नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक मेलजोल का भी प्रतीक है।

  • यह भारतीय परंपरा का हिस्सा है जो संगीत, कला और उत्सवधर्मिता को दर्शाता है।

महिलाओं और युवाओं की सहभागिता

श्रीराम जानकी सर्व महिला समिति से जुड़ी प्रतिभा-अजय चंद्राकर और ज्योति-भानु चंद्राकर ने बताया कि इस बार समाज की बेटियां, माताएं और बहनें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगी।

नेहा चंद्राकर, सुरेखा, नमिता चंद्राकर और रजनी साहू ने कहा कि इस आयोजन से सर्व समाज की एकजुटता और भाईचारे का संदेश मिलेगा।

कुरूद में होने वाला शारदीय नवरात्रि पर रास-गरबा डांडिया महोत्सव न सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि समाज की एकता और परंपरा का जीवंत उदाहरण भी है। इस आयोजन में भाग लेकर युवा और महिलाएं अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करेंगे और साथ ही सामाजिक समरसता का संदेश देंगे।

शारदीय नवरात्रि पर रास-गरबा डांडिया महोत्सव कुरूद को एक बार फिर सांस्कृतिक रंगों से सजाएगा और पूरे क्षेत्र को उत्सव की उमंग से भर देगा।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu