कुरुद । कुरुद पेड़ कटाई विवाद इस समय क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। विद्युत विभाग के अधिकारियों द्वारा बिजली लाइन के रखरखाव के नाम पर हरे-भरे पेड़ों की कटाई की जा रही है, जबकि कई पर्यावरणविद और स्थानीय लोग इसे नियमों के खिलाफ करार दे रहे हैं।
विद्युत विभाग की कार्रवाई और विरोध
गुरुवार को कुरुद और भखारा के बीच ग्राम देवरी, कोसर्मरा, सिहाद जाने वाली सड़क किनारे लगे पुराने पेड़ों को मजदूरों द्वारा कुल्हाड़ी और पेट्रोल आरी से काटा गया। इस कार्रवाई के पीछे अधिकारियों ने विद्युत लाइन की सुरक्षा का हवाला दिया, लेकिन स्थानीय पर्यावरणविद और ग्रामीण इसे क्षेत्र की हरियाली को नुकसान पहुँचाने वाला कदम मान रहे हैं।
भखारा में पदस्थ कनिष्ठ यंत्री ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी से अनुमति ली गई है, जबकि कुरुद के सीपीडीसीएल कार्यपालन अभियंता जीके बंजारे ने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी को पेड़ काटने की अनुमति नहीं दी है। उन्होंने मामले की जांच और नियमों के उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही।
क्षेत्र में पर्यावरणीय पहल और विरोध
कुरुद विधायक अजय चन्द्राकर पिछले ढाई दशक से अपने निर्वाचन क्षेत्र में तापमान कम रखने के उद्देश्य से वन विभाग के माध्यम से पेड़ लगवाने का अभियान चला रहे हैं। इसके चलते अधिकांश सड़कें हरे-भरे पेड़ों से सजी हैं।
इस कुरुद पेड़ कटाई विवाद के चलते स्थानीय पर्यावरणविदों ने कहा कि प्रकृति तब दुखी होती है जब एक तरफ पौधे लगाए जाते हैं और दूसरी तरफ पुराने पेड़ काट दिए जाते हैं। उनका कहना है कि बिना वन विभाग, ग्राम पंचायत और सक्षम अधिकारियों की अनुमति पेड़ काटना कानून और पर्यावरण दोनों के खिलाफ है।
नियम और आवश्यक प्रक्रियाएं
वन विभाग और अन्य सक्षम अधिकारियों की अनुमति के बिना किसी भी पेड़ को काटना निषिद्ध है। पेड़ों की छंटाई तक तो उचित है, लेकिन बिजली आपूर्ति के बहाने सालों पुराने पेड़ काटना नियमों के खिलाफ और पर्यावरणीय दृष्टि से हानिकारक है। इस घटना ने क्षेत्र में पर्यावरणीय सुरक्षा और नियमों के पालन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कुरुद पेड़ कटाई विवाद न केवल स्थानीय हरियाली के लिए चुनौती है बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और नियमों के पालन की भी परीक्षा है। अधिकारियों द्वारा बिना अनुमति पेड़ काटने की कार्रवाई ने क्षेत्रवासियों और पर्यावरणविदों में चिंता पैदा कर दी है। यह विवाद यह दर्शाता है कि विकास और बिजली आपूर्ति के कार्यों में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना आवश्यक है।







