लताकरंज के अद्भुत औषधीय गुण: जानें कैसे यह जड़ी-बूटी कई रोगों में है असरदार

नई दिल्ली : लताकरंज (Caesalpinia crista), जिसे आयुर्वेद में पूतिकरंज और अंग्रेज़ी में Fever Nut कहा जाता है, एक बहुप्रयुक्त औषधीय पौधा है जो भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका उपयोग प्राचीन काल से लेकर आज तक बुखार, त्वचा रोग, पेट के कीड़े और बवासीर जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में किया जाता रहा है। सुश्रुत और चरक संहिता में भी इसके औषधीय गुणों का विस्तार से वर्णन मिलता है।

लताकरंज का पौधा और इसकी पहचान

लताकरंज एक कांटेदार झाड़ी या बेल होती है, जिसमें पीले फूल और कांटेदार फल पाए जाते हैं। इसके बीज विशेष रूप से औषधीय होते हैं जो कड़वे होते हैं और दिखने में चिकने, गोल और सख्त होते हैं।

आयुर्वेद में लताकरंज का महत्व
1. बुखार में लाभकारी (Fevers including Malaria)

लताकरंज को “फीवर नट” कहा जाता है क्योंकि यह मलेरिया और अन्य प्रकार के विषम ज्वर में बेहद लाभकारी है। इसकी जड़ों का काढ़ा या चूर्ण बनाकर सेवन करने से बुखार तेजी से उतरता है।

2. पेट के कीड़ों का इलाज

छोटे बच्चों में पेट में कीड़े होना आम बात है। लताकरंज का तेल या चूर्ण बच्चों को देने से कीड़े मर जाते हैं और पाचन तंत्र बेहतर होता है।

बवासीर और पाचन संबंधी लाभ
1. विरेचक गुण (Natural Laxative)

चरक संहिता में इसे विरेचक फालिनी के रूप में वर्णित किया गया है। इसका सेवन मल त्याग को सहज बनाता है, जिससे कब्ज और बवासीर में राहत मिलती है।

2. बवासीर में उपयोग

लताकरंज की जड़, छाल और पत्तों का लेप लगाने से बाहरी बवासीर में आराम मिलता है। इसके पत्तों को पीसकर रोगी को पिलाने से भी लाभ होता है।

त्वचा रोगों में उपयोगिता
1. फंगल और खुजली की समस्याएँ

दाद, खुजली और स्किन फंगल इन्फेक्शन में लताकरंज अत्यंत प्रभावशाली है। इसके पत्तों का लेप कनेर की जड़ के साथ मिलाकर लगाने से असर तुरंत दिखता है।

2. आंख और कान की समस्याएं

लताकरंज का उपयोग आंखों के संक्रमण और कर्ण स्राव (कान बहना) जैसी समस्याओं में भी किया जाता है। इसके अर्क को आँखों या कानों में सावधानीपूर्वक प्रयोग में लाया जाता है।

उल्टी रोकने में लताकरंज का योगदान

जब उल्टी रुक नहीं रही हो, तब इसके चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से तत्काल राहत मिलती है। इस उपाय को कई आयुर्वेदाचार्य भी मान्यता देते हैं।

लताकरंज का उपयोग और सेवन विधियाँ
उपयोग विधि
बुखार जड़ का काढ़ा या चूर्ण
पेट के कीड़े बीज या तेल का सेवन
बवासीर पत्तों का रस या छाल का लेप
त्वचा रोग पत्तों का लेप + कनेर की जड़
उल्टी चूर्ण + शहद
लताकरंज के उपयोग में सावधानियाँ
  • गर्भवती महिलाएं इसका सेवन डॉक्टर की सलाह से करें।

  • अत्यधिक मात्रा में सेवन करने पर उल्टी या दस्त हो सकते हैं।

  • बच्चों को सीमित मात्रा में ही दें।

लताकरंज एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से अनेक रोगों में होता आ रहा है। चाहे बुखार हो, पेट के कीड़े, त्वचा रोग या बवासीर—इसके विभिन्न हिस्से लाभ पहुंचाते हैं। आज की आधुनिक दुनिया में भी लताकरंज की महत्ता कम नहीं हुई है, बल्कि इसके औषधीय उपयोगों की वैज्ञानिक पुष्टि भी की जा रही है।

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Author: Bharti Sahu