धमतरी में माडमसिल्ली बांध का महत्व
माडमसिल्ली बांध का साइफन सिस्टम एशिया का इकलौता और ब्रिटिश शासन काल की अद्भुत इंजीनियरिंग का नमूना है। बीते तीन-चार दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते यह बांध पूरी तरह लबालब हो गया है। जैसे ही पानी एक निश्चित स्तर से ऊपर बढ़ा, बांध के गेट अपने आप खुल गए और आसपास का नज़ारा बेहद मनोरम हो गया। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक धमतरी पहुंच रहे हैं।
साइफन सिस्टम की अनोखी तकनीक
माडमसिल्ली बांध के गेट पूरी तरह से ऑटोमैटिक हैं। पानी बढ़ने पर माडमसिल्ली बांध का साइफन सिस्टम अपने आप सक्रिय हो जाता है। इसमें लगे 4 बेबी साइफन गेट जलस्तर बढ़ते ही स्वतः खुल जाते हैं। यदि जलस्तर और ऊपर जाता है, तो 32 अन्य गेट भी ऑटोमैटिक रूप से खुल जाते हैं और खतरे का स्तर कम होने पर ये गेट खुद-ब-खुद बंद हो जाते हैं।
यह तकनीक सौ साल से अधिक पुरानी है और आज भी उत्कृष्ट मानी जाती है। यही कारण है कि इसे देश के कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाया जाता है और छात्र इसे इंजीनियरिंग का एक शानदार उदाहरण मानते हैं।
सिंचाई और पेयजल की जीवनरेखा
माडमसिल्ली बांध न केवल तकनीकी दृष्टि से खास है बल्कि कृषि और पेयजल आपूर्ति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह गंगरेल बांध का सहायक बांध है और रविशंकर सागर परियोजना का अहम हिस्सा माना जाता है। इसके पानी से धमतरी जिले की हजारों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है। साथ ही भिलाई, रायपुर और धमतरी जैसे बड़े शहरों को पेयजल आपूर्ति भी इसी से की जाती है।
इसकी जल भंडारण क्षमता 5.839 टीएमसी है, जो इसे छत्तीसगढ़ के प्रमुख जलाशयों में से एक बनाती है।
सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र
हर साल बरसात के मौसम में माडमसिल्ली बांध का साइफन सिस्टम देखने हजारों सैलानी यहां आते हैं। गेट से बहते पानी का दृश्य किसी प्राकृतिक झरने जैसा लगता है। आसपास का हरा-भरा वातावरण और बहते पानी की धारा इस स्थान को पिकनिक स्पॉट का रूप दे देती है। स्थानीय प्रशासन भी पर्यटकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए लगातार प्रयासरत रहता है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित यह बांध छत्तीसगढ़ की धरोहर है। स्थानीय लोग इसे गर्व का प्रतीक मानते हैं। इतना ही नहीं, इस बांध की इंजीनियरिंग को लेकर कई बार डॉक्यूमेंट्री और शोध भी किए गए हैं।
माडमसिल्ली बांध का साइफन सिस्टम तकनीक, इतिहास और प्रकृति का शानदार संगम है। यह न केवल धमतरी जिले की जीवनरेखा है बल्कि एशिया की अनोखी धरोहर भी है। आने वाले वर्षों में इसका संरक्षण और पर्यटन की दृष्टि से विकास राज्य की पहचान को और मजबूती देगा।







