कुरुद : मेघा पुल डायवर्सन रोड बहा — यह खबर अब पूरे कुरुद और मगरलोड क्षेत्र की जनता की नाराजगी का कारण बन चुकी है। महानदी पर बना कुरुद विधानसभा का मेघा पुल जब 21 सितम्बर 2024 को अवैध रेत उत्खनन और प्रशासनिक लापरवाही के चलते धंसा, तब से हजारों लोगों की दिनचर्या और व्यापारिक गतिविधियां ठप हो गईं। इसके समाधान के लिए बनाए गए डायवर्सन रोड को पहली ही बारिश ने बहा दिया।
कैसे बना अस्थायी डायवर्सन रोड और क्यों बह गया?
1. मिट्टी-मुरुम से तैयार की गई अस्थायी सड़़क
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सेतु निगम ने करोड़ों की लागत से पुल के धंसे हिस्से के नीचे एक 7 मीटर चौड़ी और लगभग 1300 मीटर लंबी सड़़क बनाई।
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इस सड़़क में ना तो कोई पाइप लगाया गया और ना ही पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था की गई।
2. पहली बारिश में सड़क बह गई
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पहली ही बरसात में यह मिट्टी-मुरुम की बनी सड़़क पूरी तरह बह गई।
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ठेकेदार ने पास के क्षेत्र की मिट्टी और रेत का उपयोग किया, जिससे मजबूती की कमी रही।
जनता की शिकायतों की अनदेखी
मेघा पुल डायवर्सन रोड बहा यह संकट कई स्थानीय लोगों की चेतावनियों के बावजूद सामने आया। गोविंद साहू, मोहन पटेल, महेन्द्र साहू, नीलकंठ साहू और परदेशी निषाद जैसे जागरूक नागरिकों ने इस निर्माण की गुणवत्ता को लेकर समय रहते सीएम और डीएम तक शिकायतें पहुंचाई थीं। लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
व्यापार और यातायात पर असर
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पुल के ध्वस्त होने और डायवर्सन रोड के बहने से रोजाना हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं।
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दोनों ओर का व्यापार रुक गया है, छोटे दुकानदारों से लेकर ट्रांसपोर्टरों तक को नुकसान हो रहा है।
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अब दोपहिया वाहन चालकों ने एनीकट के सहारे नदी पार करने का जोखिमभरा रास्ता अपनाया है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
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सेतु निगम के कार्यपालन अभियंता एसके गुप्ता ने कहा, “मिट्टी से बनी सड़़क तो बारिश में बहनी ही थी, अब इसे फिर से बनवाया जाएगा।”
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ठेकेदार पर सड़़क दोबारा बनवाने की जिम्मेदारी डाली गई है।
अब ग्राम पंचायत उठा रही कदम
मेघा पुल डायवर्सन रोड बहा होने के बाद अब मेघा पंचायत ने खुद मोर्चा संभालते हुए एनीकट के सहारे दोपहिया वाहनों के लिए वैकल्पिक रास्ता तैयार करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य यह है कि किसी भी स्थिति में आमजन का आवागमन पूरी तरह न रुके।
मेघा पुल डायवर्सन रोड बहा यह मामला छत्तीसगढ़ में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और प्रशासनिक जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जनता अब प्रशासन से नहीं, बल्कि अपने स्तर पर समाधान ढूंढ रही है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को चाहिए कि वे तात्कालिक और स्थायी समाधान को प्राथमिकता दें।
