मोदी सरकार का प्रशासनिक बदलाव सत्ता से सेवा की ओर बढ़ता नया भारत

नई दिल्ली। मोदी सरकार का प्रशासनिक बदलाव इन दिनों राष्ट्रीय चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में शासन व्यवस्था को नए रूप में परिभाषित करने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं। इस बदलाव का प्रमुख लक्ष्य है—सत्ता नहीं, सेवा; अधिकार नहीं, जिम्मेदारी। सरकार का कहना है कि गवर्नेंस अब केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक सोच का भी हिस्सा बन चुका है।

पीएम कार्यालय का नया नाम ‘सेवा तीर्थ’—सेवा की भावना का प्रतीक

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनने वाले नए प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम ‘सेवा तीर्थ’ रखा गया है। यह नाम सीधे उस विचारधारा को दर्शाता है जिसके केंद्र में सेवा और कर्तव्य है।
मोदी सरकार का प्रशासनिक बदलाव इसी सोच को आगे बढ़ाता है, जिसकी जड़ में है—सरकार जनता की सेवक है, मालिक नहीं।

राजभवन अब ‘लोक भवन’—शक्ति की जगह जिम्मेदारी का संकेत
नामों में बदलाव, मानसिकता में बदलाव

देशभर में राजभवनों को अब लोक भवन नाम दिया जा रहा है। यह सिर्फ नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि उस गहरे संदेश का प्रतीक है जिसे वर्तमान शासन लागू करना चाहता है।
राजभवन—जो परंपरागत रूप से सत्ता और अधिकार का प्रतीक था—अब जनता और सेवा का संकेत बन रहा है।

कर्तव्य पथ और लोक कल्याण मार्ग—सड़कें भी बदल रही हैं सोच

राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ और प्रधानमंत्री निवास का नाम लोक कल्याण मार्ग किया जा चुका है।
ये परिवर्तन, मोदी सरकार का प्रशासनिक बदलाव का हिस्सा हैं, और यह बताता है कि शक्ति किसी का अधिकार नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी है। सड़कें और सरकारी भवन अब नई शासन-संस्कृति का संदेश देते हुए दिखाई दे रहे हैं।

Central Secretariat का नया नाम ‘कर्तव्य भवन’

केंद्रीय सचिवालय, जो देश का सबसे बड़ा प्रशासनिक केंद्र है, अब कर्तव्य भवन कहलाएगा। यह नाम इस विचार को मजबूती देता है कि पब्लिक सर्विस सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि कर्तव्य है।
सरकार का उद्देश्य है कि हर सरकारी कर्मचारी खुद को जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध महसूस करे।

विचारधारा का गहरा संकेत—पावर से अधिक जिम्मेदारी
गवर्नेंस मॉडल में सांस्कृतिक बदलाव

इन नाम परिवर्तनों के पीछे सरकार की सोच यह बताती है कि देश के शासन तंत्र में केवल संरचनात्मक नहीं बल्कि वैचारिक बदलाव भी आ रहा है।
लोकतंत्र में शक्ति का मतलब अधिकार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है—इस संदेश को मोदी सरकार का प्रशासनिक बदलाव निरंतर मजबूत कर रहा है

मोदी सरकार का प्रशासनिक बदलाव केवल नामों का परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह सेवा-प्रधान लोकतंत्र की ओर बढ़ते भारत का प्रतीक है। सरकार का लक्ष्य है कि शासन तंत्र जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य करे और ‘सत्ता नहीं, सेवा’ की भावना को मजबूत करे।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu