मुंगेली में स्कूल की छत का प्लास्टर गिरा, दो छात्र घायल
मुंगेली जिले के शासकीय प्राथमिक शाला बरदुली में स्कूल की छत का प्लास्टर गिरने से बड़ा हादसा होते-होते टल गया। गुरुवार को तीसरी कक्षा में पढ़ाई के दौरान यह हादसा हुआ, जिसमें हिमांशु दिवाकर और आंशिक दिवाकर नामक दो छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के तुरंत बाद दोनों बच्चों को प्राथमिक उपचार के लिए दशरंगपुर स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां एक छात्र के सिर में तीन टांके लगे।
हादसे की पूरी कहानी
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कक्षा में पढ़ाई चल रही थी जब अचानक स्कूल की छत का प्लास्टर गिरा। हादसे के बाद कक्षा में अफरा-तफरी मच गई। गनीमत यह रही कि कोई बड़ी जानलेवा चोट नहीं आई। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने बताया कि यह स्कूल भवन जर्जर स्थिति में था, फिर भी बच्चों को उसी में बैठाकर पढ़ाया जा रहा था।
स्थानीय लोगों का आरोप और मांगें
गांव के लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग ने पहले से ही खराब हो चुके भवन की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया। कांग्रेस नेता रामचंद्र साहू, मकराल यादव और सरपंच प्रतिनिधि तुकाराम साहू ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। उनका कहना था कि अगर भवन की स्थिति पहले सुधारी जाती तो स्कूल की छत का प्लास्टर गिरने की घटना नहीं होती।
प्रशासन की कार्रवाई
जिला शिक्षा अधिकारी सी. के. घृतलहरे ने बीईओ को तुरंत घटनास्थल भेजा। जांच में प्रधानपाठक अखिलेश शर्मा और अन्य शिक्षकों ने बताया कि छत के गिरने की कोई पूर्व चेतावनी नहीं थी। फिलहाल बच्चों की कक्षा आंगनबाड़ी केंद्र में शिफ्ट कर दी गई है और सरपंच ने अतिरिक्त कक्ष निर्माण की मांग रखी है।
बच्चों की मानसिक स्थिति पर असर
बच्चों के माता-पिता राजा दिवाकर और रमेश दिवाकर ने कहा कि हादसे के बाद से बच्चे डरे हुए हैं और स्कूल जाने से डर रहे हैं। मानसिक रूप से वे अभी भी सदमे में हैं, जिससे उनकी पढ़ाई पर असर पड़ सकता है।
सुरक्षा मानकों पर सवाल
यह घटना इस बात का बड़ा उदाहरण है कि ग्रामीण इलाकों में कई स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं। समय पर मरम्मत और सुरक्षा जांच न होने से इस तरह के हादसे होते रहते हैं। स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा को लेकर कई बार चेतावनी दी गई है, लेकिन कार्रवाई धीमी रही है
मुंगेली में स्कूल की छत का प्लास्टर गिरने की घटना ने एक बार फिर शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। यह जरूरी है कि स्कूल भवनों की समय-समय पर जांच हो और बच्चों के लिए सुरक्षित कक्ष उपलब्ध कराए जाएं, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
