पहलगाम, जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक बताए जा रहे हैं। हमले के बाद पूरे कश्मीर घाटी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, वहीं केंद्र सरकार ने भी त्वरित एक्शन मोड में आते हुए बड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं।
हमले के अगले ही दिन यानी बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। गृह मंत्री अमित शाह भी कश्मीर पहुंच चुके हैं और उन्होंने श्रीनगर में पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने के बाद पहलगाम में हमले वाली जगह का दौरा किया।
सूत्रों के मुताबिक, आतंकवादी सुरक्षा बलों की वर्दी में आए थे और उन्होंने हमला उस समय किया जब पर्यटक बैसरन के खुले मैदान में घूम रहे थे। यह इलाका घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा है और ट्रेकिंग के लिए मशहूर भी है। आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। TRF को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का ही एक फ्रंट संगठन माना जाता है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक विशेष टीम को मौके पर भेजा गया है। आईजी के नेतृत्व में यह टीम सबूत जुटाने और आतंकी रास्तों की पहचान में लगी है। अधिकारियों का मानना है कि हमलावर संभवतः जम्मू के किश्तवाड़ से कोकेरनाग होते हुए बैसरन पहुंचे थे।
हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और बुधवार को घाटी के कई हिस्सों में बंद रखा गया। इस आतंकी हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कड़ी निंदा हुई है। अमेरिका और रूस समेत कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन जताया है।
यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे बड़ा और घातक हमला माना जा रहा है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पूरी ताकत से स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही बड़ी कार्रवाई के संकेत भी मिल रहे हैं।
