रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज विधायकों को संबोधित किया और छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपराओं और विधानसभा की अनुशासित कार्यप्रणाली की प्रशंसा की। अपने संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली संबोधन में उन्होंने कहा कि परिसीमन की प्रशासनिक सीमाएं होती हैं, लेकिन दिलों के बीच कोई दीवार नहीं होती।
छत्तीसगढ़-ओडिशा का अटूट रिश्ता
राष्ट्रपति मुर्मू ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि वे रायपुर को अपना ही मानती हैं। उन्होंने कहा, “जगन्नाथ केवल ओडिशा के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के नाथ हैं। ओडिशा में जो चावल पकाया जाता है, वह छत्तीसगढ़ की मिट्टी का उपहार है।”
विधानसभा की प्रशंसा
राष्ट्रपति मुर्मू ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के नियमों और परंपराओं की सराहना करते हुए कहा कि यहां का अनुशासन अपने आप में मिसाल है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में मार्शल का उपयोग नहीं करना पड़ा, जो विधायकों और पूर्व विधायकों के लिए गर्व की बात है।
महिलाओं को आगे बढ़ाने का आग्रह
राष्ट्रपति ने महिला विधायकों से अनुरोध किया कि वे महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आगे आएं। उन्होंने मीनीमाता के संघर्षों को याद करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की महिलाओं को जनता का विशेष समर्थन प्राप्त है।
छत्तीसगढ़ में विकास की असीम संभावनाएं
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अब तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में 568 विधेयक पारित हो चुके हैं, जिससे राज्य को विकास की नई गति मिली है। उन्होंने कहा कि इंद्रावती, शिवनाथ और महानदी जैसी नदियों का आशीर्वाद इस राज्य को मिला है, जिससे यहां विकास की असीम संभावनाएं हैं।
वामपंथी उग्रवाद पर बोले राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद की समस्या पर भी बात की और कहा कि यह अब निर्णायक दौर में है। उन्होंने विश्वास जताया कि छत्तीसगढ़ जल्द ही उग्रवाद पर पूरी तरह नियंत्रण पाने में सफल होगा।
रायपुर से ओडिशा के लिए हुईं रवाना
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लेने के बाद रायपुर एयरपोर्ट से ओडिशा के लिए रवाना हो गईं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें विदाई दी। उनके इस दौरे की गूंज छत्तीसगढ़ के दिलों में लंबे समय तक बनी रहेगी।
