34 लाख राशन कार्डधारियों को राशन नहीं मिलेगा: सरकार की लापरवाही से आम जनता संकट में
राज्य में हाल ही में एक बड़ी प्रशासनिक चूक सामने आई है, जिसके चलते 34 लाख राशन कार्डधारियों को राशन नहीं मिलेगा। आम आदमी पार्टी के धमतरी जिलाध्यक्ष विनोद सचदेव ने इस संकट को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि ई-केवाईसी के लिए सरकार ने समुचित सुविधा उपलब्ध नहीं कराई, जिसके चलते लाखों लोग सरकार की इस डिजिटल पहल से बाहर हो गए हैं।
मामला क्या है और क्यों चर्चा में है
केंद्र सरकार ने सभी राशन कार्डधारियों के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य किया था और इसकी अंतिम तारीख 30 जून रखी गई थी। हालांकि, राज्य सरकार ने इसके लिए ना तो पर्याप्त प्रचार किया और ना ही घर-घर जाकर कोई सुविधा दी। इसका नतीजा यह हुआ कि लगभग 34 लाख राशन कार्डधारियों को राशन नहीं मिलेगा, क्योंकि उनके कार्ड अब ऑटोमेटिक रूप से ब्लॉक हो चुके हैं।
ई-केवाईसी की अनिवार्यता और प्रक्रिया
ई-केवाईसी का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लाभार्थी वास्तविक, जीवित और पात्र हो। इसके लिए आधार से जुड़े मोबाइल नंबर के ज़रिए डिजिटल सत्यापन आवश्यक होता है। इस प्रणाली से फर्जी, मृत और दोहरे कार्डधारियों को हटाया जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब सभी नागरिकों को सही समय पर यह सेवा उपलब्ध हो।
ई-केवाईसी में किन लोगों को परेशानी हुई
विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों के लोग इस प्रक्रिया से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। कई गांवों में आज भी इंटरनेट की सुविधा नहीं है, और अधिकांश लोग डिजिटल प्रक्रिया से अनजान हैं। सरकार द्वारा न तो मोबाइल ऐप के माध्यम से अभियान चलाया गया और न ही ऑन-साइट मदद दी गई।
सरकारी तंत्र की विफलता की वजहें
आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाया कि अगर ‘मोर दुआर-साय सरकार’ जैसी योजनाओं का इतना प्रचार हुआ तो फिर ई-केवाईसी के लिए घर-घर सुविधा क्यों नहीं पहुंचाई गई? क्यों नहीं पहले से सर्वे किया गया? क्यों मोबाइल सहायता केंद्र नहीं बनाए गए?
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विनोद सचदेव ने कहा कि यह सरकार की प्रशासनिक विफलता है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने अब तक ई-केवाईसी नहीं कराया, वे अपात्र माने जा रहे हैं। इसका पूरा बोझ आम जनता पर आ गया है, जो पहले से ही महंगाई से जूझ रही है।
आंकड़ों की नज़र में संकट
प्रदेश में कुल 81 लाख 63 हजार 666 राशन कार्ड हैं, जिनमें 2 करोड़ 73 लाख 61 हजार 287 सदस्य पंजीकृत हैं। उनमें से लगभग 34 लाख लोग सत्यापन नहीं करवा सके। यानी अब इतने लोगों को राशन नहीं मिलेगा और वे सरकारी खाद्यान्न योजना से वंचित हो जाएंगे।
प्रभावितों के लिए संभावित समाधान
सरकार को चाहिए कि वह ई-केवाईसी की समयसीमा को बढ़ाए और अपात्र घोषित किए गए कार्डधारियों को दोबारा मौका दे। डिजिटल अव्यवस्था को देखते हुए यह आवश्यक है कि सरकार घर-घर जाकर ई-केवाईसी कराए।
नागरिकों के लिए सुझाव
अगर किसी का राशन कार्ड ब्लॉक हो गया है, तो उसे निकटतम जन सेवा केंद्र या राशन कार्यालय में जाकर सहायता लेनी चाहिए। साथ ही छत्तीसगढ़ खाद्य विभाग की वेबसाइट पर भी अधिक जानकारी उपलब्ध है।
34 लाख राशन कार्डधारियों को राशन नहीं मिलेगा
यह तथ्य न केवल चिंताजनक है बल्कि सरकार की निष्क्रियता को भी उजागर करता है। ज़रूरी है कि राज्य प्रशासन त्वरित कदम उठाए और जनता को इस संकट से उबारे।
