ग्रामीण शिक्षा सुधार में समाज की सामूहिक भूमिका
नगरी । स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि किसी भी देश की आत्मा उसके शैक्षिक इतिहास में होती है, और यही बात आज सेजेस सिंगपुर जन चेतना का केंद्र पहल के माध्यम से सत्य सिद्ध हो रही है। छत्तीसगढ़ के मगरलोड क्षेत्र के सिंगपुर गांव में शिक्षा को लेकर जागरूकता ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। खासकर महिलाओं की सक्रियता ने विद्यालय को सामाजिक परिवर्तन का केंद्र बना दिया है।
महिलाओं की शिक्षा के प्रति जागरूकता ने बदली सोच
पालक सम्मेलन में बढ़ती भागीदारी
सेजेस सिंगपुर में हर माह आयोजित पालक सम्मेलन में महिलाओं की सशक्त भागीदारी इस ओर इशारा करती है कि अब शिक्षा केवल बच्चों तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे गांव की सामूहिक जिम्मेदारी बन चुकी है। यह बदलाव सेजेस सिंगपुर जन चेतना का केंद्र बनने की नींव रख रहा है।
नई शिक्षा नीति के अनुरूप ग्राम स्तरीय शिक्षा मॉडल
मूल्य और नैतिक शिक्षा को प्राथमिकता
पालकों ने मिलकर तय किया है कि बच्चों को न केवल शैक्षणिक बल्कि नैतिक रूप से भी सशक्त बनाना है। यह पहल नई शिक्षा नीति के अनुरूप है, जो मूल्य शिक्षा को प्रमुखता देती है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षा और संस्कार दोनों अनिवार्य माने जा रहे हैं।
शैक्षिक फिल्मों के माध्यम से नवाचार
गांव में 75 इंच के स्मार्ट टीवी की व्यवस्था कर, अब प्रति माह दो बार शैक्षिक फिल्में, करियर गाइडेंस, आदिवासी शिक्षा, बालिका शिक्षा, स्टार्टअप, प्रतियोगी परीक्षा और सामाजिक जागरूकता से जुड़ी जानकारियों को दिखाया जाएगा। यह सब सेजेस सिंगपुर जन चेतना का केंद्र पहल का हिस्सा है।
विद्यालय-समाज संवाद: शिक्षा का नया मॉडल
प्रमुख पहल | लाभ |
---|---|
पालक-शिक्षक संवाद | बच्चों की प्रगति में सामूहिक सहयोग |
शैक्षिक फिल्में | व्यवहारिक ज्ञान और मार्गदर्शन |
समाज की भागीदारी | विद्यालय विकास में योगदान |
नैतिक शिक्षा | चरित्र निर्माण |
समाज के सभी वर्गों की सहभागिता
गांव के हर समाज—गोंड़, कंवर, यादव, मुस्लिम, मसीह, ब्राह्मण, साहू, निषाद, कमार, पटेल, आदि—के प्रतिनिधियों ने एकमत से विद्यालय के विकास में तन-मन-धन से सहयोग का संकल्प लिया। उन्होंने 15 दिनों में स्मार्ट टीवी उपलब्ध कराने और बच्चों के गृह कार्य में सहयोग देने का भी निर्णय लिया।
सेजेस सिंगपुर जन चेतना का केंद्र एक आदर्श उदाहरण है कि जब समाज शिक्षा को प्राथमिकता देता है, तो बदलाव सुनिश्चित होता है। इस गांव ने न केवल विद्यालय को बदला, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्ज्वल मार्ग भी प्रशस्त किया। यही वह सामूहिक चेतना है जो शिक्षा को असली परिवर्तन का माध्यम बनाती है।
