धमतरी । जब जुनून सेवा बन जाए, तो शिक्षा एक आंदोलन का रूप ले लेती है। धमतरी जिले के मगरलोड ब्लॉक में कार्यरत शिक्षिका रंजीता साहू और उनके पति आयकर निरीक्षक तुमन चंद साहू ने बच्चों की पढ़ाई को स्मार्ट बनाने के लिए एक मिसाल कायम की है। इन दोनों को उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने जिला अधिकारियों की बैठक में सम्मानित किया।
157 स्कूलों में पहुंचे स्मार्ट टीवी
साहू दम्पत्ति अब तक 157 स्कूलों में स्मार्ट टीवी प्रदान कर चुके हैं, जिससे दूरस्थ आदिवासी अंचलों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। स्मार्ट टीवी के जरिए बच्चे ऑडियो-विजुअल तरीके से पढ़ाई करते हैं, जिससे उनकी समझने की क्षमता और रुचि दोनों बढ़ती है।
तुमन चंद साहू बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने टीवी की पूरी लागत खुद वहन की, लेकिन आगे उन्होंने सामाजिक सहभागिता मॉडल अपनाया, जिसमें 50% राशि वे खुद देते हैं और बाकी सरपंच, शिक्षक या समाज के अन्य लोगों से जुटाई जाती है।
‘नदी वर्णमाला’ से शिक्षा और पर्यावरण दोनों की सीख
रंजीता साहू ने बच्चों को पानी और पर्यावरण का महत्व समझाने के लिए 5 देशों की 111 नदियों के नामों से एक अनोखी हिंदी वर्णमाला तैयार की है। इसमें अ से ज्ञ तक हर अक्षर से शुरू होने वाली नदियों के नाम शामिल किए गए हैं। यह अनोखी पहल न सिर्फ शिक्षा को रोचक बनाती है, बल्कि जल संरक्षण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाती है।
अब तक लगभग 11,000 बच्चों को यह वर्णमाला वितरित की जा चुकी है।
पर्यावरण संरक्षण में भी अग्रणी
सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, साहू दम्पत्ति ने चंदन के 3,000 पौधे, 1,100 पपीते के पौधे, और 1,000 काली हल्दी के पौधे भी स्कूलों में मुफ्त वितरित किए हैं। ये कदम बच्चों में प्रकृति से जुड़ाव और हरित सोच को बढ़ावा देने का प्रयास हैं।
स्मार्ट फ्लैक्स से सीखना आसान
दम्पत्ति ने स्मार्ट गणित, इंग्लिश और हिन्दी वर्णमाला के 250 से ज्यादा फ्लैक्स तैयार कर स्कूलों में लगाए हैं। ये फ्लैक्स बच्चों को विषयों को चित्रों के माध्यम से समझाने में बेहद मददगार साबित हो रहे हैं।
कलेक्टर ने बताया “प्रेरणा का स्रोत”
कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने इस कार्य को जनजातीय बच्चों के लिए प्रेरणादायक और अत्यंत उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग शिक्षा व्यवस्था में सार्थक बदलाव ला सकते हैं।
साहू दम्पत्ति की यह पहल यह दिखाती है कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी संसाधनों की कमी से नहीं रुकता। उनके प्रयास आज हजारों बच्चों के भविष्य को रोशन कर रहे हैं — तकनीक, पर्यावरण और शिक्षा के अनोखे संगम के साथ।
