क्रेडा ने आयोजित की ऊर्जा संरक्षण एवं सतत भवन संहिता पर कार्यशाला
छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) द्वारा 21 अगस्त 2025 को ट्यूलिप एरीना में ऊर्जा संरक्षण एवं सतत भवन संहिता विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अभियंता, वास्तुविद और विशेषज्ञ शामिल हुए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भविष्य में बनने वाले भवनों को ऊर्जा दक्ष और पर्यावरण अनुकूल बनाना था।
क्रेडा सीईओ का संदेश
क्रेडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री राजेश सिंह राणा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले समय में सभी व्यावसायिक भवनों को ऊर्जा संरक्षण एवं सतत भवन संहिता के अनुरूप ही निर्माण करना अनिवार्य होगा। उन्होंने भवन निर्माण इकाइयों, शासकीय हाउसिंग बोर्ड और निजी हाउसिंग सोसायटियों से आग्रह किया कि वे ऊर्जा दक्ष सामग्रियों का उपयोग करें और ईसीबीसी (ECBC) तथा ईको निवास संहिता (ENS) को अपनाएं।
उद्योग और ऊर्जा दक्षता
श्री राणा ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए ऊर्जा अंकेक्षण (Energy Audit) की योजना पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा दक्ष तकनीक और सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने से न केवल बिजली की बचत होगी बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी मजबूत होगा।
तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण सत्र
कार्यशाला के दौरान क्रेडा के परियोजना समन्वयक श्री कुशल तिवारी और सुश्री प्रियंका पचौरी ने प्रतिभागियों को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने उदाहरणों और केस स्टडी के माध्यम से यह समझाया कि भवनों में ऊर्जा दक्ष सामग्रियों का प्रयोग कैसे किया जा सकता है और इससे लंबी अवधि में कितना लाभ होगा।
राज्य सरकार की पहल
श्री राणा ने जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा ऊर्जा संरक्षण एवं सतत भवन संहिता के नियम अधिसूचित किए जा रहे हैं। इसके तहत भविष्य में बनने वाले सभी शासकीय भवनों को ECSBC अनुरूप ही निर्मित किया जाएगा। यह कदम छत्तीसगढ़ को ऊर्जा दक्षता और हरित भवन निर्माण की दिशा में अग्रणी बनाएगा।
विभिन्न विभागों की सहभागिता
इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (T&CP) और लोक निर्माण विभाग (CGPWD) के अभियंता एवं वास्तुविद बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। उनकी सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट हुआ कि राज्य स्तर पर सभी विभाग ऊर्जा संरक्षण और हरित भवन निर्माण के लिए गंभीर हैं।
अभियान का महत्व
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बिजली की खपत में कमी।
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पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी।
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भूमिगत जल स्तर और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
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आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराना।
