विश्व धरोहर दिवस पर भारत की सनातन संस्कृति को वैश्विक सम्मान, गीता और नाट्यशास्त्र यूनेस्को की सूची में शामिल

नई दिल्ली : विश्व धरोहर दिवस के शुभ अवसर पर भारत की प्राचीन और सनातन सांस्कृतिक धरोहर को एक बड़ी वैश्विक मान्यता मिली है। यूनाइटेड नेशन्स एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन (UNESCO) ने श्रीमद् भगवद्गीता और भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को “मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर” में शामिल कर लिया है। यह फैसला पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति के गहराई से प्रभाव और योगदान को दर्शाता है।

कुल 74 दस्तावेजों को मिली जगह, भारत के 14 दस्तावेज हुए शामिल

इस बार यूनेस्को के इस प्रतिष्ठित रजिस्टर में कुल 74 नई एंट्री की गई हैं, जिससे अब सूची में दस्तावेजों की कुल संख्या 570 हो गई है। भारत के लिए ये गर्व की बात है कि अब 14 भारतीय दस्तावेज इस वैश्विक सूची का हिस्सा बन चुके हैं।

क्या है मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर?

UNESCO ने “Memory of the World Register” की शुरुआत 1992 में की थी। इसका उद्देश्य दुनिया भर की ऐतिहासिक दस्तावेजी धरोहरों को संरक्षित करना और उन्हें विस्मृति से बचाना है। इसमें विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त, मूल्यवान अभिलेखीय और पुस्तकालय संग्रह शामिल किए जाते हैं। इसकी देखरेख एक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति करती है।

पीएम मोदी और संस्कृति मंत्री ने जताई खुशी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक क्षण पर खुशी जाहिर करते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

“यह दुनियाभर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। यह हमारे ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। इनकी अंतदृष्टि दुनिया को प्रेरित करती है।”

केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कहा:

“ये कालातीत रचनाएं सिर्फ साहित्यिक खजाना नहीं, बल्कि भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्ति करने के तरीके को आकार देने वाली धरोहर हैं।”

भारतीय संस्कृति को मिला अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान

श्रीमद् भगवद्गीता, जो कि भारतीय दर्शन और जीवनदृष्टि की आत्मा मानी जाती है, और नाट्यशास्त्र, जो विश्व रंगमंच का आधार है, अब विश्व धरोहर का हिस्सा बन चुके हैं। यह न केवल भारत के लिए सम्मान की बात है, बल्कि दुनिया के लिए भी एक मूल्यवान सांस्कृतिक योगदान है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu