युक्तियुक्तकरण के बाद भी स्कूल की स्थिति खराब: शिउड़ गांव के पालकों का तालाबंदी आंदोलन

युक्तियुक्तकरण के बाद भी स्कूल की स्थिति खराब: शिउड़ गांव के पालकों का तालाबंदी आंदोलन

युक्तियुक्तकरण के बाद भी स्कूल की स्थिति खराब बनी हुई है, और इसका जीता-जागता उदाहरण छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ ब्लॉक के शिउड़ गांव में देखने को मिला। यहां ग्रामीणों और पालकों ने अंग्रेजी और संस्कृत जैसे विषयों के शिक्षकों की कमी से नाराज होकर हाई स्कूल के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया। यह विरोध सिर्फ शिक्षक नहीं होने का नहीं, बल्कि एक पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाने वाला कदम है।

शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का ताजा उदाहरण: शिउड़ गांव
बच्चों और पालकों का सामूहिक विरोध

मंगलवार को ग्रामीणों की बड़ी संख्या स्कूल के गेट पर पहुंची और ताला लगाकर प्रशासन के प्रति आक्रोश प्रकट किया। उन्होंने कहा कि अब तक की तमाम शिकायतों और चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया।

अंग्रेजी और संस्कृत शिक्षकों की कमी से पढ़ाई प्रभावित

विद्यालय में न तो अंग्रेजी पढ़ाने वाला कोई शिक्षक है और न ही संस्कृत विषय के लिए कोई नियुक्ति की गई है। इससे छात्रों की पढ़ाई और विशेष रूप से बोर्ड परीक्षा की तैयारी ठप हो चुकी है।

युक्तियुक्तकरण नीति: समस्या का कारण या समाधान?
शिक्षकों का ट्रांसफर और अटैचमेंट बना परेशानी की जड़

शिक्षक अमित मैसी सेजस नवागढ़ में अटैच हैं और लक्ष्मीप्रसाद सूर्यवंशी का तबादला महंत हाई स्कूल हो चुका है। ऐसे में शिउड़ विद्यालय में अंग्रेजी विषय की पढ़ाई पूरी तरह बंद है।

छात्रों की संख्या के अनुसार शिक्षकों की अनुपलब्धता

गांव में छात्रों की संख्या अधिक है, लेकिन युक्तियुक्तकरण के नाम पर शिक्षकों को हटा लिया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि नीति में ज़मीनी स्तर पर सुधार की ज़रूरत है।

प्रशासन की चुप्पी और ग्रामीणों की नाराजगी
पहले चेतावनी दी गई थी, अब कार्रवाई की मांग

पालकों ने पहले भी चेतावनी दी थी कि शिक्षक नहीं आने पर स्कूल में ताला लगाया जाएगा। अब वे ब्लॉक मुख्यालय तक आंदोलन की बात कह रहे हैं।

ब्लॉक मुख्यालय तक आंदोलन की चेतावनी

अगर जल्द शिक्षक की बहाली नहीं की गई तो आंदोलन और तेज हो सकता है। पालकों का कहना है कि पढ़ाई के साथ बच्चों का भविष्य भी दांव पर है।

बोर्ड परीक्षा की तैयारियों पर बुरा असर
महत्वपूर्ण विषयों के बिना बच्चों का भविष्य संकट में

ऐसे समय जब 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी चरम पर होती है, शिउड़ गांव के बच्चों को अंग्रेजी और संस्कृत जैसे विषयों के बिना पढ़ाई करनी पड़ रही है। यह उनके भविष्य पर सीधा असर डालता है।

शिक्षा विभाग की ज़िम्मेदारी और समाधान की राह
स्थानीय अधिकारी क्यों नहीं पहुंचे मौके पर?

ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि ताला जड़ने के बाद भी कोई अधिकारी मौके पर क्यों नहीं आया? यह प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है।

तत्काल बहाली की मांग और प्रशासनिक जवाबदेही

ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द शिक्षकों की बहाली हो और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए प्रशासन ठोस कदम उठाए।

युक्तियुक्तकरण के बाद भी स्कूल की स्थिति खराब क्यों बनी हुई है?

युक्तियुक्तकरण के बाद भी स्कूल की स्थिति खराब रहना यह दर्शाता है कि नीति ज़मीनी हकीकत से कट गई है। जब शिक्षक ही स्कूल में नहीं होंगे तो पढ़ाई कैसे चलेगी? शिउड़ गांव की घटना न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की भी मांग करती है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu