युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था में सुधार: अब प्रदेश का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं

युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था में सुधार: शिक्षकों की कमी दूर कर रही सरकार

युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था में सुधार के स्पष्ट परिणाम अब छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश में पहले जहां 453 विद्यालय पूरी तरह से शिक्षक विहीन थे, वहीं अब युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के बाद एक भी स्कूल ऐसा नहीं है जहां शिक्षक पदस्थ न हो। यह सरकार की शिक्षा को सुदृढ़ और संतुलित बनाने की नीति का सकारात्मक परिणाम है।

📊 शिक्षक विहीन विद्यालयों की संख्या हुई शून्य
  • युक्तियुक्तकरण के पहले: 453 स्कूल बिना किसी शिक्षक के

  • युक्तियुक्तकरण के बाद: शून्य शिक्षक विहीन स्कूल

यह दर्शाता है कि राज्य सरकार ने शिक्षा के मूलभूत ढांचे को प्राथमिकता दी है और युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था में सुधार को प्राथमिकता दी है।

👨‍🏫 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में भी आई बड़ी गिरावट

प्रदेश में पहले कुल 5936 एकल शिक्षकीय विद्यालय थे, जिनमें से:

  • 4728 विद्यालयों में अतिरिक्त शिक्षकों की पदस्थापना की जा चुकी है।

  • शेष 1208 विद्यालय, जो मुख्य रूप से बस्तर और सरगुजा संभाग में हैं, जल्द ही शिक्षकों से भर दिए जाएंगे।

📝 भर्ती और पदोन्नति से मिलेगा और फायदा

सरकार ने घोषणा की है कि:

  • 5000 नए शिक्षकों की सीधी भर्ती की जाएगी

  • प्रधान पाठक और व्याख्याता स्तर पर पदोन्नति प्रक्रिया शुरू की गई है

इससे एकल शिक्षकीय विद्यालयों की संख्या और घटेगी और जहां शिक्षक नहीं हैं, वहां तैनाती जल्द होगी।

📚 नीति और कानून के अंतर्गत लिया गया कदम
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत ही युक्तियुक्तकरण किया गया।

  • 2008 के सेटअप की प्रासंगिकता अब समाप्त मानी जा रही है।

  • अनियमितता में लिप्त पाए गए कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की गई है।

    युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयास अब ज़मीन पर दिखने लगे हैं। शिक्षक विहीन स्कूलों की संख्या शून्य करना, एकल शिक्षकीय विद्यालयों को बहुशिक्षकीय बनाना और नई भर्तियों की घोषणा सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह स्पष्ट है कि शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ लगातार सकारात्मक दिशा में अग्रसर है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu