रायपुर : छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में “मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान” को मंजूरी दे दी गई है। इस अभियान का उद्देश्य राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और प्रत्येक छात्र तक समग्र और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाना है।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा, “शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं होनी चाहिए, यह जीवन निर्माण की प्रक्रिया है। हमारी सरकार का संकल्प है कि चाहे बच्चा राज्य के किसी भी कोने में क्यों न हो, उसे समान अवसर और श्रेष्ठ शिक्षा मिले।”
इस अभियान के तहत हर स्कूल की शैक्षणिक स्थिति का सामाजिक अंकेक्षण किया जाएगा। इसमें स्कूल की पढ़ाई का स्तर, शिक्षक की उपस्थिति, विद्यार्थियों की उपलब्धियाँ, आधारभूत सुविधाएँ और शैक्षणिक वातावरण जैसे कई बिंदुओं पर ग्रेडिंग की जाएगी। कमजोर प्रदर्शन वाले स्कूलों की नियमित निगरानी की जाएगी और उन्हें बेहतर बनाने के लिए विशेष योजना तैयार की जाएगी।
एक दिलचस्प पहल ये भी है कि कमजोर स्कूलों के शिक्षकों को मॉडल स्कूलों का दौरा कराया जाएगा, ताकि वे वहाँ की श्रेष्ठ शैक्षणिक पद्धतियों से सीख सकें और उन्हें अपने स्कूल में लागू कर सकें।
पालक-शिक्षक मीटिंग (PTM) को भी महज औपचारिकता न मानकर संवाद और भागीदारी का जरिया बनाया जाएगा। इसके ज़रिए स्कूल और घर के बीच सहयोग को मजबूत किया जाएगा।
शिक्षकों को आधुनिक तकनीकों और छात्र-केंद्रित शिक्षण विधियों में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे कक्षा में सीखने की प्रक्रिया और भी प्रभावशाली और आनंददायक हो सके।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह अभियान केवल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की भागीदारी से सफल होगा। यह कदम छत्तीसगढ़ को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास साबित होगा।
